यन्मे माता प्रलुलुभे विचरन्त्यपतिव्रता । तन्मे रेतः पिता वृङ्क्तां इत्यस्यैतन्निदर्शनम् । ।

वह बीज बुद्धिमान् विनम्र ज्ञान-विज्ञान के दाता दीर्घायु चाहने वाले व्यक्ति को कभी भी परस्त्री में नही बोना चाहिए अर्थात् परस्त्री से सम्पर्क कर व्याभिचार आदि द्वारा अपने वीर्यरूपी बीज को व्यर्थ में नष्ट नहीं करना चाहिए ।

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