स्वेभ्योऽंशेभ्यस्तु कन्याभ्यः प्रदद्युर्भ्रातरः पृथक् । स्वात्स्वादंशाच्चतुर्भागं पतिताः स्युरदित्सवः

(भ्रातरः) सब भाई (कन्याभ्यः) अविवाहित बहनो के लिए पृथक् (चतुर्भागम्) पृथक्-पृथक् चतुर्थांश भाग (स्वेभ्यः प्रदद्युः) अपने भागों में से देवे (स्वात् स्वात् + अंशात् अदित्सवः) अपने-अपने भाग से चतुर्थांश भाग न देने वाले भाई (पतिताः स्युः) पतित= ’दोषी और निन्दनीय’ माने जायेंगे ।

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