अजाविकं सैकशफं न जातु विषमं भजेत् । अजाविकं तु विषमं ज्येष्ठस्यैव विधीयते । ।

(अजा+अविकम् स+एकशकं विषमम्) बकरी, भेड़, घोड़ी आदि के विषम होने पर (न जातु भजेत्) उन्हें (बेचकर धनराशि के रूप में) विभाजित न करें (विषमम् अजाविकं तु) विषम रूप में बकरी-भेड़ आदि पशु (ज्येष्ठस्य+एव विधीयते) बड़े भाई को ही प्राप्त होते हैं ।

’पुत्रिका’ के दायभाग का वर्णन—

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