साक्षी दृष्टश्रुतादन्यद्विब्रुवन्नार्यसंसदि । अवाङ्नरकं अभ्येति प्रेत्य स्वर्गाच्च हीयते

जो राजसभा वा किसी उत्तम पुरूषों की सभा में साक्षी देखने और सुनने से विरूद्ध बोले तो वह अवाड्नरक – अर्थात् जिह्वा के छेदन से दुःखरूप नरक को वर्तमान समय में प्राप्त होवे और मरे पश्चात् सुख से हीन हो जाये ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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