यन्नावि किं चिद्दाशानां विशीर्येतापराधतः । तद्दाशैरेव दातव्यं समागम्य स्वतोऽंशतः ।

मल्लाहों की गलती से नाव में जो कुछ यात्रियों को हानि हो जाये उसे मल्लाहों ने मिलकर अपने – अपने हिस्से में से पूरा करना चाहिए ।

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