भर्तारं लङ्घयेद्या तु स्त्री ज्ञातिगुणदर्पिता । तां श्वभिः खादयेद्राजा संस्थाने बहुसंस्थिते

. जो स्त्री अपनी जाति गुण के घमण्ड से पति को छोड़ व्यभिचार करे उसको बहुत स्त्री और पुरूषों के सामने जीती हुई कुत्तों से राजा कटवाकर मरवा डाले ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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