पृष्ठतस्तु शरीरस्य नोत्तमाङ्गे कथं चन । अतोऽन्यथा तु प्रहरन्प्राप्तः स्याच्चौरकिल्बिषम् ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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