स चेत्तु पथि संरुद्धः पशुभिर्वा रथेन वा । प्रमापयेत्प्राणभृतस्तत्र दण्डोऽविचारितः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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