Adhyay : 8 Mantra : 294 Back to listings प्राजकश्चेद्भवेदाप्तः प्राजको दण्डं अर्हति । युग्यस्थाः प्राजकेऽनाप्ते सर्वे दण्ड्याः शतं शतम् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related