अङ्गावपीडनायां च व्रणशोनितयोस्तथा । समुत्थानव्ययं दाप्यः सर्वदण्डं अथापि वा

. किसी अंग के टूटने, कटने आदि पर और घाव करने तथा रक्त बहाने पर जब तक रोगी पहले जैसी अवस्था के रूप में ठीक न हो जाये तब तक सम्पूर्ण औषधि आदि का व्यय मारने वाले से दिलवाये और साथ ही यदि उचित समझे तो उस पर पूर्ण दण्ड करे ।

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