लोभान्मोहाद्भयान्मैत्रात्कामात्क्रोधात्तथैव च । अज्ञानाद्बालभावाच्च साक्ष्यं वितथं उच्यते ।

. जो लोभ, मोह, भय, मित्रता, काम, क्रोध, अज्ञान और बालकपन से साक्षी देवे वह सब मिथ्या समझी जावे ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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