सोऽस्य कार्याणि संपश्येत्सभ्यैरेव त्रिभिर्वृतः । सभां एव प्रविश्याग्र्यां आसीनः स्थित एव वा ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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