सर्वं कर्मेदं आयत्तं विधाने दैवमानुषे । तयोर्दैवं अचिन्त्यं तु मानुषे विद्यते क्रिया । ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *