उपजप्यानुपजपेद्बुध्येतैव च तत्कृतम् । युक्ते च दैवे युध्येत जयप्रेप्सुरपेतभीः ।

शत्रु के वर्ग के जिन अमात्य सेनापति आदि में फूट डाली जा सके, उनमें फूट डाल दे और इस प्रकार शत्रु राजा की योजनाओं की जानकारी ले ले और विजय का इच्छुक राजा इस प्रकार भय छोड़कर उचित अवसर पर युद्ध – आक्रमण शुरू कर देवे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *