भिन्द्याच्चैव तडागानि प्राकारपरिखास्तथा । समवस्कन्दयेच्चैनं रात्रौ वित्रासयेत्तथा ।

शत्रु के तालाब नगर के प्रकोट और खाई को तोड़ – फोड़दे रात्रि में उनको भय देवे और जीतने का उपाय करे ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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