. ‘‘शत्रु से मेल अथवा उससे विपरीतता करे, परन्तु वर्तमान और भविष्यत् में करने के काम बराबर करता जाये; यह दो प्रकार का मेल कहाता है ।’’
(स० प्र० षष्ठ समु०)
तात्कालिक फल देने वाली और भविष्य में फल देने वाली सन्धि दो प्रकार की होती है – १. किसी राजा से मेल करके एक साथ शत्रुराजा पर चढ़ाई करना उसी प्रकार दूसरी उससे विपरीत अर्थात् किसी राजा से मेल करके अलग – अलग दिशाओं से शत्रुराजा पर आक्रमण करना ।