वैतानिकं च जुहुयादग्निहोत्रं यथाविधि । दर्शं अस्कन्दयन्पर्व पौर्णमासं च योगतः

और वैतानिक अर्थात् वानप्रस्थ अवस्था में किया जाने वाला अग्निहोत्र विधि – अनुसार अमावस्या और पूर्णिमा के पर्वयज्ञों को न छोड़ते हुए निष्ठापूर्वक हवन करे ।

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