वासन्तशारदैर्मेध्यैर्मुन्यन्नैः स्वयं आहृतैः । पुरोडाशांश्चरूंश्चैव विधिवन्निर्वपेत्पृथक् ।

वसन्त और शरद् ऋतु में प्राप्त होने वाले पवित्र और स्वयं लाये हुए नीवार आदि मुनि – अन्नों से पुरोडाश और चरू नामक यज्ञीय हव्यों को विधि अनुसार अलग – अलग तैयार करे ।

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