Adhyay : 5 Mantra : 81 Back to listings श्रोत्रिये तूपसंपन्ने त्रिरात्रं अशुचिर्भवेत् । मातुले पक्षिणीं रात्रिं शिष्यर्त्विग्बान्धवेषु च । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related