समुत्पत्तिं च मांसस्य वधबन्धौ च देहिनाम् । प्रसमीक्ष्य निवर्तेत सर्वमांसस्य भक्षणात् ।

और मांस की उत्पत्ति जैसे होती है उसको प्राणियों की हत्या और बन्धन के कष्टों को देखकर सब प्रकार के मांस भक्षण से दूर रहे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *