Adhyay : 5 Mantra : 49 Back to listings समुत्पत्तिं च मांसस्य वधबन्धौ च देहिनाम् । प्रसमीक्ष्य निवर्तेत सर्वमांसस्य भक्षणात् । Leave a comment और मांस की उत्पत्ति जैसे होती है उसको प्राणियों की हत्या और बन्धन के कष्टों को देखकर सब प्रकार के मांस भक्षण से दूर रहे । Related