Adhyay : 5 Mantra : 144 Back to listings वान्तो विरिक्तः स्नात्वा तु घृतप्राशनं आचरेत् । आचामेदेव भुक्त्वान्नं स्नानं मैथुनिनः स्मृतम् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related