वान्तो विरिक्तः स्नात्वा तु घृतप्राशनं आचरेत् । आचामेदेव भुक्त्वान्नं स्नानं मैथुनिनः स्मृतम् ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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