Adhyay : 5 Mantra : 143 Back to listings उच्छिष्टेन तु संस्पृष्टो द्रव्यहस्तः कथं चन । अनिधायैव तद्द्रव्यं आचान्तः शुचितां इयात् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related