उच्छिष्टेन तु संस्पृष्टो द्रव्यहस्तः कथं चन । अनिधायैव तद्द्रव्यं आचान्तः शुचितां इयात् ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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