पक्षिजग्धं गवा घ्रातं अवधूतं अवक्षुतम् । दूषितं केशकीटैश्च मृत्प्रक्षेपेण शुध्यति । ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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