ब्राह्ममुहूत्र्त में जागरण –
. रात्रि के चौथे प्रहर अथवा चार घड़ी रात से उठे आवश्यक कार्य धर्म और अर्थ शरीर के रोगों और उनके कारणों को और परमात्मा का ध्यान करे, कभी अधर्म का आचरण न करे ।
(स० प्र० चतुर्थ समु०
ब्राह्ममुहूत्र्त में जागरण –
. रात्रि के चौथे प्रहर अथवा चार घड़ी रात से उठे आवश्यक कार्य धर्म और अर्थ शरीर के रोगों और उनके कारणों को और परमात्मा का ध्यान करे, कभी अधर्म का आचरण न करे ।
(स० प्र० चतुर्थ समु०