उत्थायावश्यकं कृत्वा कृतशौचः समाहितः । पूर्वां संध्यां जपंस्तिष्ठेत्स्वकाले चापरां चिरम् ।

संध्योपासन आदि नित्यचर्चा का पालन एवं उससे दीर्घायु की प्राप्ति –

उठकर दिनचर्या के आवश्यक कार्य सम्पन्न करके स्वच्छ – पवित्र होकर एकाग्रचित्त होकर प्रातः कालीन संध्योपासना करने के लिए देर तक बैठे और उपयुक्त समय पर सांयकालीन संध्या में भी उपासना करे ।

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