षट्कर्मैको भवत्येषां त्रिभिरन्यः प्रवर्तते । द्वाभ्यां एकश्चतुर्थस्तु ब्रह्मसत्त्रेण जीवति । ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *