न मृल्लोष्ठं च मृद्नीयान्न छिन्द्यात्करजैस्तृणम् । न कर्म निष्फलं कुर्यान्नायत्यां असुखोदयम्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *