मूत्रोच्चारसमुत्सर्गं दिवा कुर्यादुदङ्मुखः । दक्षिणाभिमुखो रात्रौ संध्यायोश्च यथा दिवा

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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