Adhyay : 4 Mantra : 51 Back to listings छायायां अन्धकारे वा रात्रावहनि वा द्विजः । यथासुखमुखः कुर्यात्प्राणबाधभयेषु च Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related