Adhyay : 4 Mantra : 48 Back to listings वाय्वग्निविप्रं आदित्यं अपः पश्यंस्तथैव गाः । न कदा चन कुर्वीत विण्मूत्रस्य विसर्जनम् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related