न ससत्त्वेषु गर्तेषु न गच्छन्नपि न स्थितः । न नदीतीरं आसाद्य न च पर्वतमस्तके

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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