जो व्यक्ति स्वयं अन्यथा होते हुए सज्जनों में अन्यथा – कुछ का कुछ बतलाता है वह लोके में पापी माना जाता है, क्यों कि वह अपनी आत्मा को चुराने वाला चोर है ।
जो व्यक्ति स्वयं अन्यथा होते हुए सज्जनों में अन्यथा – कुछ का कुछ बतलाता है वह लोके में पापी माना जाता है, क्यों कि वह अपनी आत्मा को चुराने वाला चोर है ।