अतपास्त्वनधीयानः प्रतिग्रहरुचिर्द्विजः । अम्भस्यश्मप्लवेनेव सह तेनैव मज्जति ।

दान लेने के अनधिकारी

एक – ब्रह्मचर्य – सत्यभाषणादि तपरहित, दूसरा – बिना पढ़ा हुआ, तीसरा – अत्यन्त धर्मार्थ दूसरों से दान लेने वाला, ये तीनों पत्थर की नौका से समुद्र में तैरने के समान अपने दुष्ट कर्मों के साथ ही दुःखसागर में डूबते हैं ।

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