Adhyay : 4 Mantra : 188 Back to listings हिरण्यं भूमिं अश्वं गां अन्नं वासस्तिलान्घृतम् । प्रतिगृह्णन्नविद्वांस्तु भस्मीभवति दारुवत् । । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related