अभिवादयेद्वृद्धांश्च दद्याच्चैवासनं स्वकम् । कृताञ्जलिरुपासीत गच्छतः पृष्ठतोऽन्वियात्

. सदा विद्यावृद्धों और वयोवृद्धों को नमस्ते अर्थात् उनका मान्य किया करे जब वे अपने समीप आवें तब उठकर, मान्यपूर्वक अपने आसन पर बैठावे और हाथ जोड़ के आप समीप बैठे, पूछें वह उत्तर देवे और जब जाने लगें तब थोड़ी दूर पीछे – पीछे जाकर नमस्ते कर, विदा करे ।

(सं० वि० गृहाश्रम प्र०)

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