कुर्यादहरहः श्राद्धं अन्नाद्येनोदकेन वा । पयोमूलफलैर्वापि पितृभ्यः प्रीतिं आवहन् ।

पितृयज्ञ का विधान

गृहस्थ व्यक्ति अन्न आदि भोज्य पदार्थों से और जल तथा दूध से, कन्दमूल, फल आदि से माता – पिता आदि बुजुर्गों से अत्यन्त प्रेम करते हुए प्रतिदिन श्राद्ध – श्रद्धा से किये जाने वाले सेवा – सुश्रूषा, भोजन देना आदि कत्र्तव्य करे ।

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