Adhyay : 3 Mantra : 255 Back to listings अपराह्णस्तथा दर्भा वास्तुसंपादनं तिलाः । सृष्टिर्मृष्टिर्द्विजाश्चाग्र्याः श्राद्धकर्मसु संपदः । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related