Adhyay : 3 Mantra : 234 Back to listings व्रतस्थं अपि दौहित्रं श्राद्धे यत्नेन भोजयेत् । कुतपं चासनं दद्यात्तिलैश्च विकिरेन्महीम् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related