Adhyay : 3 Mantra : 215 Back to listings त्रींस्तु तस्माद्धविःशेषात्पिण्डान्कृत्वा समाहितः । औदकेनैव विधिना निर्वपेद्दक्षिणामुखः । । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related