Adhyay : 3 Mantra : 202 Back to listings राजतैर्भाजनैरेषां अथो वा रजतान्वितैः । वार्यपि श्रद्धया दत्तं अक्षयायोपकल्पते । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related