ऋषिभ्यः पितरो जाताः पितृभ्यो देवमानवाः । देवेभ्यस्तु जगत्सर्वं चरं स्थाण्वनुपूर्वशः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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