Adhyay : 3 Mantra : 169 Back to listings अपाङ्क्तदाने यो दातुर्भवत्यूर्ध्वं फलोदयः । दैवे हविषि पित्र्ये वा तं प्रवक्स्याम्यशेषतः । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related