धनुःशराणां कर्ता च यश्चाग्रेदिधिषूपतिः । मित्रध्रुग्द्यूतवृत्तिश्च पुत्राचार्यस्तथैव च । ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *