Adhyay : 3 Mantra : 143 Back to listings दातॄन्प्रतिग्रहीतॄंश्च कुरुते फलभागिनः । विदुषे दक्षिणां दत्त्वा विधिवत्प्रेत्य चेह च । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related