कामं श्राद्धेऽर्चयेन्मित्रं नाभिरूपं अपि त्वरिम् । द्विषता हि हविर्भुक्तं भवति प्रेत्य निष्फलम् । । ३

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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