Adhyay : 3 Mantra : 144 Back to listings कामं श्राद्धेऽर्चयेन्मित्रं नाभिरूपं अपि त्वरिम् । द्विषता हि हविर्भुक्तं भवति प्रेत्य निष्फलम् । । ३ Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related