सुवासिनीः कुमारीश्च रोगिणो गर्भिणीः स्त्रियः । अतिथिभ्योऽग्र एवैतान्भोजयेदविचारयन् । ।

नव विवाहिता और अल्पवयस्क कन्याओं को रोगियों को गर्भवती स्त्रियों को इन्हें अतिथियों से पहले ही बिना किसी संदेह के अर्थात् बडे़ – छोटे को पहले – पीछे भोजन कराने का विचार किये बिना खिला दे ।

गृहस्थ दम्पती को सबके बाद भोजन करना और यज्ञशेष भोजन करना –

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