प्रीतिपूर्वक पत्नी के साथ घर में आये अन्य मित्र आदि को भी सत्कार पूर्वक शक्ति के अनुसार भोजन करावे ।
‘‘समय पाके गृहस्थ और राजादि भी अतिथिवत् सत्कार करने योग्य हैं ।’’
(सत्यार्थ० चतुर्थ समु०)
प्रीतिपूर्वक पत्नी के साथ घर में आये अन्य मित्र आदि को भी सत्कार पूर्वक शक्ति के अनुसार भोजन करावे ।
‘‘समय पाके गृहस्थ और राजादि भी अतिथिवत् सत्कार करने योग्य हैं ।’’
(सत्यार्थ० चतुर्थ समु०)