Adhyay : 3 Mantra : 112 Back to listings वैश्यशूद्रावपि प्राप्तौ कुटुम्बेऽतिथिधर्मिणौ । भोजयेत्सह भृत्यैस्तावानृशंस्यं प्रयोजयन् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है Related