श्रोत्रं त्वक्चक्षुषी जिह्वा नासिका चैव पञ्चमी । पायूपस्थं हस्तपादं वाक्चैव दशमी स्मृता ।

ग्यारह इन्द्रियाँ –

. (श्रोत्रं त्वक् चक्षुषी जिह्वा) कान, त्वचा, नेत्र, जीभ (च) और पांचवी नासिका (- नाक) (पायु – उपस्थं हस्त – पादम्) गुदा, उपस्थ (मूत्र का मार्ग) हाथ, पग (वाक्) वाणी (दशमी स्मृता) ये दश इन्द्रिय इस शरीर में हैं ।

(सं० वि० वेदारम्भ संस्कार)

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