श्रद्दधानः शुभां विद्यां आददीतावरादपि । अन्यादपि परं धर्मं स्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि ।

निम्नस्तर के व्यक्ति से भी ज्ञान – धर्म की प्राप्ति

शुभां विद्यां श्रद्दधानः उत्तम विद्या प्राप्ति की श्रद्धा करता हुआ पुरूष अवरात् अपि आददीत अपने से न्यून से भी विद्या पावे तो ग्रहण करे अन्त्यादपि परं धर्मम् नीच जाति से भी उत्तम धर्म का ग्रहण करे, और दुष्कुलात् अपि स्त्रीरत्नम् निंद्यकुल से भी स्त्रियों में उत्तम स्त्री का ग्रहण करे, यह नीति है ।

(सं० वि० वेदारम्भ संस्कार)

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